Tuesday, November 14, 2017

बाल श्रम को न रोक पाना राजकीय शर्म : संजय शर्मा l

 बाल दिवस पर विशेष -   लखनऊ की 77 परसेंट आबादी के बराबर बाल श्रमिक हैं यूपी में l यूपी के 7 परसेंट से अधिक बच्चे कर रहे हैं बाल श्रम l योगी सरकार में शासन स्तर पर बाल श्रम के मुद्दे पर नहीं हो पाई है कोई बैठक l  लखनऊ के फायरब्रांड समाज सेवी और इंजीनियर संजय शर्मा की आरटीआई से हुआ खुलासा  l


लखनऊ / 14 नवंबर 2017…………आज बाल दिवस है l आज के दिन पूरे प्रदेश में कई सरकारी आयोजन होंगे जिनमें क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष, जो कभी सत्ता में हुआ करता था ; सभी बच्चों के मुद्दों पर बड़ी बड़ी संवेदनशील बातें  कहेंगे पर जब सूबे  के इन नौनिहालों के लिए जमीनी स्तर  पर कुछ ठोस काम करने की बात आती है तो इन सभी राजनेताओं की कथनी-करनी का अंतर सामने आने लगता है l कुछ ऐसा ही खुलासा देश के जाने-माने समाजसेवियों में शुमार होने वाले लखनऊ के मानव अधिकार कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई पर श्रम आयुक्त उत्तर प्रदेश के कार्यालय के समय परीक्षण अधिकारी और जन सूचना अधिकारी मोहम्मद अशरफ द्वारा दिए गए उत्तर से हो रहा है l

To Download original RTI & reply, please click this weblink http://sajagngonews.blogspot.in/2017/11/blog-post_16.html


बताते चलें कि समाजसेवी संजय ने बीते जून की 16 तारीख को यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी डालकर उत्तर प्रदेश में बाल श्रम निषेध एवं नियमन संशोधन अधिनियम लागू होने के बाद यूपी में बाल श्रम के मुद्दे पर प्रदेश सरकार द्वारा की गई कार्यवाही के सम्बन्ध में 8 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी l मुख्य सचिव कार्यालय ने संजय की आरटीआई  अर्जी उत्तर प्रदेश शासन के श्रम विभाग को अंतरित की जो कालांतर में यूपी के श्रम आयुक्त के कार्यालय को अंतरित हो गई l अब मोहम्मद अशरफ ने यूपी के उप-श्रमायुक्त दिलीप कुमार सिंह के एक पत्र को संलग्न करते हुए समाजसेवी संजय को जो सूचना दी है वह बेहद चौंकाने वाली है और बाल श्रम के मुद्दे पर सूबे  की वर्तमान योगी सरकार और पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही हैं l


अपने तेज तर्रार रुख के लिए देश भर में मशहूर संजय कहते हैं कि उन्हें बताया गया है कि यूपी में कामकाजी बच्चों की कुल संख्या लगभग  21 लाख 76 हजार 706 है l संजय बताते हैं कि  2001 की जनगणना के अनुसार यूपी में बाल श्रमिकों की संख्या 19 लाख 27 हज़ार  थी जो विकास के बड़े-बड़े दावों, विभिन्न सरकारी अभियानों,योजनाओं,कानूनों  और जनजागृति की बड़ी-बड़ी सरकारी बातों के बाद भी काम होने के स्थान पर लगातार बढ़ रही है l 2011 की जनगणना के अनुसार यूपी की आबादी 19 करोड़ 98 लाख और इस आबादी में से 3 करोड़ 8 लाख  बच्चे होने के आधार पर संजय कहते हैं की इस आरटीआई  जवाब से स्पष्ट हैं कि यूपी के 7 परसेंट से अधिक बच्चे बाल श्रम कर रहे हैं l2011 की जनगणना के अनुसार  लखनऊ की आबादी 28 लाख 17 हजार होने के आधार पर संजय कहते हैं कि इस तरह से साफ है कि  यूपी की राजधानी लखनऊ की कुल आबादी के 77 परसेंट आबादी के बराबर बच्चे यूपी में बाल श्रम कर रहे हैं जो वास्तव में एक राजकीय शर्म की बात है l


मोहम्मद अशरफ ने संजय को यह भी बताया है कि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद बाल श्रम के मुद्दे पर शासन स्तर पर एक भी बैठक नहीं हुई है और संजय ने इस आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार को आड़े हाथों भी लिया है l संजय बताते हैं कि 8 दिसंबर 2016 के बाद से अब तक बाल श्रम के मुद्दे पर शासन स्तर पर कोई भी बैठक आहूत नहीं की गई है जो वास्तव में एक चिंताजनक स्थिति है l बाल श्रम  जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आरटीआई दायर करने के 5 महीने बाद भी ट्रैफिकिंग का शिकार हुए बच्चों के लिए चलाए जा रही चलाई जा रही सरकारी योजनाओं, इन सरकारी योजनाओं के तहत किए गए वित्तीय आवंटन, बच्चों की तस्करी आदि के मामलों  की कोई सूचना न  देने को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और श्रम विभाग की उदासीनता बताते हुए संजय ने इस मामले  को उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ले जाकर इस मामले में शिकायत दर्ज करा देने की बात भी कही है l



देश के नामचीन  मानव अधिकार कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय बताते हैं उत्तर प्रदेश में चिन्हित बाल श्रमिकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने की बात भी  इस आरटीआई जबाब से सामने आई है l मोहम्मद अशरफ ने संजय को बताया है कि 31 मार्च 2015 तक यूपी में चिन्हित बाल श्रमिक 841 थे जो 31 मार्च 2016 तक बढ़कर 1164 हो गए और 31 मार्च 2017 तक उनकी संख्या 1601 हो गई है l संजय को यह भी बताया गया है कि  सर्वाधिक कामकाजी बच्चों वाले जिलों में यूपी के इलाहाबाद, बरेली, जौनपुर, गोंडा, आगरा, गाजियाबाद, बलिया, लखनऊ, गोरखपुर और सीतापुर सूबे के अन्य जिलों से आगे हैं तो वही चिन्हित किए गए बाल श्रमिकों की सर्वाधिक संख्या 128 कानपुर में है और उसके बाद आगरा में 104 बाल श्रमिक, लखनऊ में 99 बाल श्रमिक, इलाहाबाद में 68 बाल श्रमिक और बरेली में 67 बाल श्रमिक चिन्हित किए गए हैं l संजय को बताया गया है कि मऊ ही उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जिसमें अभी तक एक भी बाल श्रमिक चिन्हित नहीं किया जा सका है l    संजय ने कहा है कि वह अपनी इस आरटीआई के जवाब के आधार पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बाल श्रमिकों के मुद्दे पर संवेदनशील रवैया अपनाने और बाल श्रमिकों के पुनर्वास आदि के संबंध में ठोस कदम उठाने की अपील  कर रहे हैं और इस तरह वे आज बाल श्रमिकों के मुद्दे को उठाकर  बाल दिवस मना रहे हैंl

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