लखनऊ /22 नवंबर 2017.......................
आबादी
के हिसाब
से देश
के सबसे
बड़े सूबे
उत्तर प्रदेश
मैं इस
समय एक
संत सत्ता
पर काबिज
हैं l यूपी के
वर्तमान सीएम
योगी आदित्यनाथ
अपनी कट्टर
हिंदूवादी छवि
के लिए
जाने जाते
रहे हैंl योगी
के मुख्यमंत्री
बनने के
बाद प्रदेश
की हिंदू
जनसंख्या को
उनसे आशाएं
और अपेक्षाएं
भी उनकी
छवि के
अनुरूप ही
बहुत अधिक
थीं और
योगी ने
सरकार बनाने
के बाद
इस तरह
के संकेत
भी दिए
थे कि
वह हिंदू
आस्था से
जुड़े मुद्दों
पर अपने
हिंदू समर्थक कट्टर
रुख को
बरकरार रखेंगे
लेकिन क्या
योगी बास्तव
में हिन्दू
आस्था से
जुड़े मुद्दों
पर बास्तव
में संवेदनशील
हैं या
सत्ता में
आने के
बाद योगी
भी एक
ट्रेडिशनल राजनेता
की तरह
हिन्दुओं को
वादों की
लॉलीपॉप थमाते
जा रहा
हैं जिनका
यथार्थ के
धरातल पर
कोई असर
अब तक
दिखाई नहीं
दे रहा
है l
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यह
चुभता हुआ
सबाल इसलिए
उठ रहा
है क्योंकि
यूपी की
राजधानी लखनऊ
के फायर
ब्रांड आरटीआई
एक्टिविस्ट और
इंजीनियर संजय
शर्मा की
एक आरटीआई पर आये
जवाब से
यह चौंकाने
वाला खुलासा
हुआ है
कि बीते 19 मार्च
को यूपी
की सत्ता
संभालने के
बाद योगी
ने हिंदू
'आस्था को
नमन' करने
की बात
कहते हुए
दावे तो
बड़े बड़े
किए हैं
लेकिन तीन
चौथाई साल
बीत जाने
पर भी
योगी सरकार
अभी तक
हिंदू आस्था
से जुड़े
मुद्दों पर
कोई ठोस
जमीनी कार्यवाही
नहीं कर
पाई है
l
देश
के नामचीन
समाजसेवियों में
शुमार होने
वाले संजय
शर्मा बताते
हैं कि
सूचना एवं
जनसंपर्क विभाग
उत्तर प्रदेश
ने योगी
सरकार के
100 दिन
पूरे होने
पर '100 दिन विश्वास
के' शीर्षक
से एक
पत्रिका का
प्रकाशन किया
था जिसमें
हिंदू आस्था
को नमन
की बात
कहते हुए
कैलाश मानसरोवर
यात्रियों के
अनुदान की
बढ़ोत्तरी ,गाजियाबाद
में कैलाश
मानसरोवर भवन
के निर्माण,
अयोध्या में
भजन संध्या
स्थल के
निर्माण, चित्रकूट
में परिक्रमा
पथ के
पुनर्विकास एवं
भजन संध्या
स्थल के
निर्माण, धर्मार्थ
कार्य विभाग
की वेबसाइट
के शुभारंभ
और सिंधु
दर्शन के
अनुदान को
लेकर कई
दावे किए
गए थे
जिनकी सत्यता
परखने के
लिए और
इन क्षेत्रों
में सरकार
द्वारा घोषित
की गई
योजनाओं को
अमली जामा
पहनाने के
लिए सरकार
द्वारा की
गई कार्यवाही
की जमीनी
हकीकत को
परखने के लिए
उन्होंने बीते
सितंबर की
21 तारीख को
यूपी के
मुख्य सचिव
के कार्यालय
में एक
आरटीआई दायर
कर 8 बिंदुओं
पर सूचना
मांगी थी
l मुख्य
सचिव कार्यालय
के जन
सूचना अधिकारी
ने संजय
की यह आरटीआई
बीते 3 अक्टूबर को उत्तर
प्रदेश शासन
के धर्मार्थ
कार्य विभाग
को अंतरित
कर दी
थी l धर्मार्थ
कार्य विभाग
के अनुभाग
अधिकारी एवं
जन सूचना
अधिकारी विनीत
कुमार ने
बीते 15 नवंबर
को पत्र
जारी कर
वरिष्ठ समाजसेवी
संजय शर्मा
को जो
जानकारी दी
है वह
बेहद चौंकाने
वाली हैं
और योगी
सरकार को
कठघरे में
खड़ा कर
रही हैं
l
समाजसेवी
संजय को
दी गई
इस सूचना
से यह
बात सामने
आ रही
है कि
यूपी के
सीएम योगी
आदित्यनाथ ने
हिंदुओं की
आस्था से
जुड़े मुद्दों
पर दावे
तो बड़े
बड़े किए
हैं पर
लगभग तीन
चौथाई साल
बीत जाने
पर भी
योगी आदित्यनाथ
की सरकार
अभी तक
इन योजनाओं
को अमली
जामा नहीं
पहना पाई
है l विनीत कुमार
ने संजय
को बताया
है कि कैलाश
मानसरोवर यात्रा
के अनुदान
के भुगतान
की कार्यवाही
अभी भी
प्रक्रियाधीन एवं
परीक्षण आधीन
हैl अयोध्या में
भजन संध्या
स्थल के
निर्माण हेतु
वर्तमान वित्तीय
वर्ष में
अब तक
कोई भी
धनराशि अवमुक्त
न किए
जाने, चित्रकूट
में परिक्रमा
पथ एवं
भजन संध्या
स्थल के
निर्माण हेतु
वर्तमान वित्तीय
वर्ष में
अब तक
कोई धनराशि
अवमुक्त न
किए जाने,
धर्मार्थ कार्य
विभाग की
वेबसाइट को
बनाने हेतु
वर्तमान वित्तीय
वर्ष में
अब तक
कोई धनराशि
अवमुक्त न
किए जाने,
सिंधु दर्शन
के लिए
अनुदान पाने
वाले यात्रियों
को वर्तमान
वित्तीय वर्ष
में अब
तक कोई
धनराशि अवमुक्त
न किए
जाने और
रामलला अयोध्या
राम मंदिर
के त्रिपाल
पर वर्तमान
वित्तीय वर्ष
में कोई
धनराशि अवमुक्त
न किए
जाने की
सूचना भी
विनीत कुमार
ने संजय
को दी
है l
अपने
बेबाक रुख
के चलते
यूपी की
शान कहे
जाने वाले
समाज सेवी
संजय का
कहना है
की सरकार
द्वारा छपाई
गई पुस्तिकाओं
में बिना
अमल में
लाए हुए
योजनाओं के
वारे में
बड़ी-बड़ी
बातें करते
हुए उन्हें
अपनी उपलब्धियां
बताना सरकारों को
शोभा नहीं
देता है
l संजय का
कहना है
कि राजतंत्र
में भाट
और चारण
संस्कृति थी
जिसमें भाट
-चारण अपने
मालिक राजा
से इनाम
पाने की
चाहत में
उनकी शान
में झूठे
कसीदे गढ़ते
थे लेकिन
लोकतंत्र में
सरकार का
मुखिया भी
जनता का
नुमाइंदा ही
होता है
सरकार पूरी
जनता के
लिए ही
होती है
और इसीलिये
सरकार और
मुख्यमंत्री को
केवल अपनी
वही उपलब्धियां
जनता के
बीच लेकर
जानी चाहिए
जिनको उसने
वास्तव में
जमीनी स्तर
पर आम
जनता को
उपलब्ध करा
दिया हो
l संजय का
कहना है
कि वह
उत्तर प्रदेश
के सूचना
एवं जनसंपर्क
विभाग को
इस भाट-चारणी संस्कृति
से मुक्त
करा कर
सरकार की
तथ्यपरक उपलब्धियां
ही प्रकाशित
करने की
अपनी अपेक्षा
रखने वाला
एक पत्र
यूपी के
सीएम और
राज्यपाल को
भेजने जा
रहे हैl