लखनऊ / 25-03-17
लखनऊ स्थित समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता
इंजीनियर संजय शर्मा ने लखनऊ के गोमतीनगर
थाने के थानाध्यक्ष को तहरीर देकर IPS
अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर द्वारा सोशल मीडिया फेसबुक पर उनके खिलाफ अत्यंत
अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी करने का आरोप
लगाया है और नूतन के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर नियमानुसार विधिक कार्यवाही किये जाने
का अनुरोध किया है l
तहरीर में नूतन के पति और यूपी कैडर
के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पर विभिन्न सोशल मीडिया
पर उनके विरुद्ध मेरे निजी जीवन के वारे में अत्यंत ही अनुचित,अमर्यादित,अभद्र
टिप्पणियां करते रहने का आरोप लगाया गया है l
FIR दर्ज कराने की यह तहरीर
नूतन द्वारा अपने फेसबुक पर संजय को शिखंडी कहने के आधार पर दी गई है l संजय ने तहरीर
में लिखा है कि एक महिला द्वारा 3 बच्चों के बाप एक पुरुष को शिखंडी कहना निश्चित
ही एक गंभीर आपराधिक कृत्य है और इसीलिये उन्होंने गोमतीनगर थाने के थानाध्यक्ष को तहरीर देकर नूतन ठाकुर के
खिलाफ कानूनी कार्यवाही किये जाने की मांग की है l
तहरीर के साथ नूतन द्वारा
फेसबुक पर डाली गई पोस्ट के स्क्रीनशॉट की प्रति साक्ष्य के रूप में प्रेषित की गई
है l
थानाध्यक्ष गोमतीनगर को प्रेषित तहरीर निम्नवत है :
सेवा में,
थानाध्यक्ष – थाना गोमतीनगर
जनपद लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पिन कोड – 226010
विषय
: सुश्री नूतन ठाकुर के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज
कर वैधानिक कार्यवाही करने हेतु प्रार्थना पत्र का प्रेषण l
महोदय,
मैं एक इंजीनियर,समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हूँ l प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की यह तहरीर
सुश्री नूतन ठाकुर निवासी 5/426, विराम खण्ड,गोमती नगर, लखनऊ मोबाइल नंबर 9415534525
धारक द्वारा फेसबुक पर मेरे विरुद्ध की गई अत्यंत अमर्यादित,
निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी के सम्बन्ध में मुकद्दमा दर्ज कर नियमानुसार
विधिक कार्यवाही किये जाने हेतु आपके समक्ष प्रस्तुत की जा रही है l
सुश्री नूतन ठाकुर और उनके पति श्री अमिताभ ठाकुर निवासी 5/426,
विराम खण्ड,गोमती नगर, लखनऊ बहुत लम्बे समय से विभिन्न सोशल मीडिया पर मेरे
विरुद्ध मेरे निजी जीवन के वारे में अत्यंत ही अनुचित,अमर्यादित,अभद्र टिप्पणियां करते
रहे हैं जिनकी पुष्टि सुश्री नूतन ठाकुर
और उनके पति श्री अमिताभ ठाकुर की सोशल मीडिया ( फेसबुक,ट्विटर,ब्लॉग्स आदि ) पोस्ट्स
से की जा सकती है l
26 जुलाई 2015 को नूतन ठाकुर ने अपने फेसबुक अकाउंट पर मेरे वारे में
अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी “शायद ये सरकार एक औरत से
डर गयी है जो संजय शर्मा जैसे शिखंडियों के जरिये छुपकर वार कर रही है” सार्वजनिक
रूप से की थी l जब कतिपय लोगों ने मुझे बताया कि सुश्री नूतन ने फेसबुक पर मेरे
सम्बन्ध में अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी की है तो
मैंने सुश्री नूतन का फेसबुक अकाउंट देखा जिस पर नूतन ने मुझे शिखंडी कहा हुआ था l
एक महिला द्वारा 3 बच्चों के बाप एक पुरुष को शिखंडी कहना निश्चित ही एक गंभीर
आपराधिक कृत्य है l सुश्री नूतन ठाकुर की इस पोस्ट पर अन्य लोगों ने भी मेरे वारे
में नितांत ही ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणियां कीं हुईं थीं l सुश्री
नूतन ठाकुर के पति श्री अमिताभ ठाकुर एक IPS अधिकारी हैं और सुश्री नूतन लोगों को
अपने पति के उच्च पुलिस पद का हवाला देकर मृत्यु भय की धमकी देती रहती हैं इसीलिये
उस समय जीवन भय के चलते मैंने इस मामले की ऍफ़.आई.आर. नहीं लिखाई और असहाय होकर
सुश्री नूतन की पोस्ट के स्क्रीनशॉट के साथ अपने फेसबुक पर “ यदि कोई महिला अपनी
स्त्रीसुलभ शालीनता खोकर किसी पुरुष को ‘शिखंडी’ की संघ्या दे तो बेचारा पुरुष ऐसी
स्थिति में क्या करे ?” लिखा और तदसमय चुप होकर बैठ गया l मेरी दिनांक 26-07-15 की पोस्ट के स्क्रीनशॉट के 1 पेज की प्रति
संलग्नक संख्या 1 के रूप में संलग्न है l
क्योंकि मैं एक विवाहित पुरुष हूँ और मेरे अपने 3 बच्चे भी हैं अतः सुश्री नूतन द्वारा मेरे वारे में इस
अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी को सार्वजनिक रूप से
फेसबुक पर करने और इसका प्रकाशन समाचार पत्र नव भारत टाइम्स में हो जाने के कारण
उन सभी जगहों पर मेरी बदनामी हुई जहाँ जहाँ यह अखबार गया और आज भी लोग यह अखबार
दिखा-दिखा कर मुझे परेशान करते रहते हैं l समाचार
पत्र नव भारत टाइम्स के समाचार के 1 पेज
की कटिंग की प्रति संलग्नक संख्या 2 के रूप में संलग्न है l
क्योंकि मैं एक विवाहित पुरुष हूँ और मेरे अपने 3 बच्चे भी हैं अतः सुश्री नूतन द्वारा मेरे वारे में इस
अत्यंत ही अमर्यादित, निंदनीय, अनुचित और अभद्र टिप्पणी को सार्वजनिक रूप से
फेसबुक पर करने और इसका प्रकाशन समाचार पत्र नव भारत टाइम्स की वेबसाइट पर होने के
कारण पूरे संसार में मेरी बदनामी हुई और आज भी निरंतर हो रही है l समाचार पत्र नव भारत टाइम्स की वेबसाइट पर दिनांक 27-07-15 को प्रदर्शित
समाचार के 1 पेज की प्रति संलग्नक संख्या 3
के रूप में संलग्न है l सुश्री नूतन ठाकुर द्वारा दिनांक 26-07-15 को की गई
अमर्यादित पोस्ट के स्क्रीनशॉट के 1 पेज की प्रति संलग्नक संख्या 4 के रूप में
संलग्न है l
सुश्री नूतन ठाकुर और उनके पति श्री अमिताभ ठाकुर द्वारा मेरे
विरुद्ध की गई टिप्पणियों से सम्बंधित पोस्ट्स को डिलीट करके इन दोनों के द्वारा अपने
उपरोक्त अपराधों के साक्ष्य नष्ट करने की बात भी कतिपय सूत्रों से ज्ञात हुई है l
मुझे
यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि सुश्री नूतन ठाकुर के उपरोक्त कृत्य पूर्णतया
अनुचित और अमर्यादित होने के साथ साथ स्पष्टतया गंभीर आपराधिक कृत्य हैं l सुश्री
नूतन ठाकुर द्वारा कारित किये गये उपरोक्त आपराधिक
कृत्य प्रथम दृष्टया ठन्डे दिमाग से किये गये गंभीर संज्ञेय अपराध प्रतीत होते हैंl
IPS श्री अमिताभ ठाकुर द्वारा अपनी पत्नी
सुश्री नूतन ठाकुर के आपराधिक कृत्यों को छुपाने की साजिश करने की बात भी कतिपय सूत्रों से
ज्ञात हुई है l इस साजिश का खुलासा मात्र विधिक
विवेचना द्वारा ही संभव है l
मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 12-11-13 को ललिता कुमारी बनाम
उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में निर्णय पारित करते हुए संज्ञेय अपराध
होने की बात सामने आने पर ऍफ़.आई.आर. दर्ज होने के सम्बन्ध में विधिक वाध्यता का
कानून प्रतिपादित करते हुए कहा है कि :
“Conclusion/Directions: 111) In view of the aforesaid discussion, we
hold: (i) Registration of FIR is mandatory under Section 154 of the Code, if
the information discloses commission of a cognizable offence and no preliminary
inquiry is permissible in such a situation. (ii) If the information received
does not disclose a cognizable offence but indicates the necessity for an
inquiry, a preliminary inquiry may be conducted only to ascertain whether
cognizable offence is disclosed or not. (iii) If the inquiry discloses the
commission of a cognizable offence, the FIR must be registered. In cases where
preliminary inquiry ends in closing the complaint, a copy of the entry of such
closure must be supplied to the first informant forthwith and not later than
one week. It must disclose reasons in brief for closing the complaint and not
proceeding further. (iv) The police officer cannot avoid his duty of
registering offence if cognizable offence is disclosed. Action must be taken
against erring officers who do not register
the FIR if information received by him discloses a cognizable offence. (v) The
scope of preliminary inquiry is not to verify the veracity or otherwise of the
information received but only to ascertain whether the information reveals any
cognizable offence. (vi) As to what type and in which cases preliminary inquiry
is to be conducted will depend on the facts and circumstances of each case. The
category of cases in which preliminary inquiry may be made are as under:
(a)Matrimonial disputes/ family disputes (b)Commercial offences (c) Medical
negligence cases (d)Corruption cases (e) Cases where there is abnormal
delay/laches in initiating criminal prosecution, for example, over 3 months
delay in reporting the matter without satisfactorily explaining the reasons for
delay. The aforesaid are only illustrations and not exhaustive of all
conditions which may warrant preliminary
inquiry. (vii) While ensuring and protecting the rights of the accused and the
complainant, a preliminary inquiry should be made time bound and in any case it
should not exceed 7 days. The fact of such delay and the causes of it must be
reflected in the General Diary entry. (viii) Since the General Diary/Station
Diary/Daily Diary is the record of all information received in a police station,
we direct that all information relating to cognizable offences, whether
resulting in registration of FIR or leading to an inquiry, must be mandatorily
and meticulously reflected in the said Diary and the decision to conduct a
preliminary inquiry must also be reflected, as mentioned above.”
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को
प्रेषित पत्र संख्या 15011/91/2013-SC/ST-W dated
12-10-15 द्वारा उत्तर
प्रदेश सरकार को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि संज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस
बिना किसी भेद-भाव के शीघ्रता से ऍफ़.आई.आर. दर्ज करे l
मेरी
इस शिकायत के तथ्यों और शिकायत के साथ संलग्न साक्ष्यों के आलोक में उपरोक्त अभियुक्ता सुश्री नूतन ठाकुर के खिलाफ प्रथमदृष्टया गंभीर
संज्ञेय अपराध बनते हैं l इस मामले में अपराध से सम्बंधित शेष अभिलेख और
प्रमाण/साक्ष्य प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बाद मात्र विवेचक द्वारा ही
प्राप्त किये जा सकते हैं और मुझे किसी भी स्थिति में नहीं मिल सकते हैं l
मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 12-11-13 को ललिता कुमारी बनाम
उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में पारित निर्णय और भारत सरकार के गृह
मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को प्रेषित पत्र संख्या 15011/91/2013-SC/ST-W
dated 12-10-15 द्वारा
उत्तर प्रदेश सरकार को दिये निर्देशों के अनुपालन में इस प्रकरण में प्रथमदृष्टया
संज्ञेय अपराध होने की बात सामने आने के कारण ऍफ़.आई.आर. दर्ज कर विवेचना कर
साक्ष्य संकलन कर मामले का विधिक निस्तारण किया जाना आवश्यक है अतः आपसे अनुरोध है कि सुश्री नूतन ठाकुर के
खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही करने का कष्ट करें l
संलग्नक : उपरोक्तानुसार ( 4 पेज )
दिनांक : 23-03 -17
भवदीय,
( संजय शर्मा )
102,नारायण टावर, ऍफ़ ब्लाक ईदगाह के सामने
राजाजीपुरम, लखनऊ,उत्तर प्रदेश,भारत, पिन कोड - 226017