Wednesday, April 30, 2025

लखनऊ : सेक्स और असाध्य रोगों के इलाज का दावा करने वाले रॉयल हर्बल क्लिनिक पर औषधि प्रशासन विभाग का छापा - दवाएं सील कर जांच हेतु भेजीं गईं प्रयोगशाला.




लखनऊ :
पारदर्शिता, जवाबदेही, मानवाधिकार और क़ानूनी अधिकारों के लिए संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सूबे के औषधि प्रशासन विभाग ने सेक्स और कैंसर सहित कई अन्य असाध्य रोगों का इलाज़ करने का दावा करने वाले लखनऊ के इंदिरानगर में संचालित "रॉयल हर्बल क्लिनिक" नामक क्लिनिक पर बीती 19 अप्रैल को छापा मारकर जांच की है और 3 आयुर्वेदिक दवाएं दवाएं सील करके जांच और विश्लेषण के लिए सूबे की राजकीय प्रयोगशाला को भेज दी हैं.

 

 

बताते चलें कि शर्मा की एक अन्य शिकायत पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ डा. राज कुमार यादव ने इस सेक्स क्लिनिक की जांच के लिए एक समिति https://tahririndia.blogspot.com/2025/03/blog-post.html का गठन किया था जो अलग से इस क्लिनिक की जाँच कर रही है.

 

 

बकौल संजय इस क्लिनिक में इलाज को गए कुछ निराश मरीजों की शिकायतों के बाद उन्होंने इस क्लिनिक के तथ्य सार्वजनिक करने के लिए यह मुद्दा व्यापक जनहित में कई माह पूर्व उठाया था.

 

 

लखनऊ के औषधि निरीक्षक की जांच आख्या सार्वजनिक करते हुए संजय ने बताया कि निरीक्षण के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि क्लिनिक का सञ्चालन मात्र 2 डॉक्टर्स, पिता डा. सुजाउद्दीन अहमद और पुत्र डा. बिलाल अहमद के द्वारा किया जा रहा है जिन दोनों की शैक्षिक योग्यता बैचलर ऑफ़ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी ( B.U.M.S. ) है जबकि क्लिनिक की वेबसाइट पर डॉक्टर्स को लेकर बड़े-बड़े दावे किये गए हैं.

 

 

फर्म मेसर्स रॉयल हर्बल क्लिनिक एंड हेल्थ केयर सर्विसेज का पंजीकरण क्षेत्रीय यूनानी अधिकारी लखनऊ मंडल के कार्यालय में है  और इन दोनों  डॉक्टर्स में से भी मात्र बिलाल अहमद ही आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड उत्तर प्रदेश में रजिस्टर्ड बताये गए है. क्लिनिक में कोई भी मेडिकल स्टोर नहीं होने की बात भी जांच रिपोर्ट में बताई गई है. क्लिनिक का कोई दवा कारखाना होने की बात इस रिपोर्ट से नदारद है जिससे यह तथ्य सामने आ रहा है कि फर्म मेसर्स रॉयल हर्बल क्लिनिक एंड हेल्थ केयर सर्विसेज का कोई दवा बनाने का कारखाना भी नहीं है. इन दोनों डॉक्टर्स के कंबाइंड चैम्बर और चैम्बर के बगल के कमरे में कुछ थोड़ी बहुत आयुर्वेदिक और यूनानी औषधियों का भंडारण पाया गया है जिनमे से 3 आयुर्वेदिक औषधियों का नमूना नियमानुसार संग्रहीत करके जांच और विश्लेषण के लिए सूबे की राजकीय प्रयोगशाला को भेज दी गईं हैं और नमूनों की जांच रिपोर्ट प्राप्त होने पर अग्रिम कार्यवाही की बात भी औषधि निरीक्षक ने लिखी है.

 

 

संजय प्रश्न उठाते है कि मात्र एक रजिस्टर्ड और एक अनरजिस्टर्ड डॉक्टर के सहारे कुछ आयुर्वेदिक और यूनानी औषधियों का भंडारण रखने वाला और मात्र सूबे के आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड में ही रजिस्टर्ड यह क्लिनिक कैसे अपनी वेबसाइट पर प्रशिक्षित डॉक्टर्स की टीम रखने के सम्बन्ध में, दवाओं के सम्बन्ध में  और सेक्स रोगों के साथ-साथ कैंसर समेत कई अन्य असाध्य रोगों के इलाज़ के सम्बन्ध में बड़े-बड़े दावे कर सकता है. बकौल संजय, उनकी शिकायत के अनेकों बिन्दुओं में से ये भी कुछ बिंदु हैं जिन पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ डा. राज कुमार यादव द्वारा गठित जांच समिति को जांच करनी है.

 

संजय शर्मा से मोबाइल नंबर  9454461111, 7991479999, 9565-24x7x365 पर संपर्क किया जा सकता है और उनका ईमेल पता sanjaysharmalko@icloud.com  है।

 


 

Monday, April 28, 2025

मदरसा अनुदानों में अनियमितताओं पर प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग.


दिनांक:
28 अप्रैल 2025
स्थान: लखनऊ, उत्तर प्रदेश

 


उत्तर प्रदेश में सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों के अनुदान प्रबंधन में गंभीर अनियमितताओं को लेकर भारत के प्रमुख पारदर्शिता, जवाबदेही, मानवाधिकार एवं कानूनी अधिकारों के कार्यकर्ता  संजय शर्मा ने एक व्यापक शिकायत पत्र भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च पदाधिकारियों को प्रेषित की है.

 


यह शिकायत पत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, राज्यपाल उत्तर प्रदेश, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और राज्य के मुख्य सचिव को भेजा गया है. शर्मा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में संचालित 558 सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों के प्रबंधन की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं.

 

शर्मा ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के पास इन मदरसों के प्रबंधकों की सूची उपलब्ध नहीं है, जो कि प्रशासनिक स्तर पर घोर लापरवाही को दर्शाता है और यह सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 ( आरटीआई ) का भी खुला उल्लंघन भी है.

 

उनका कहना है कि मदरसों को मिलने वाले सरकारी अनुदानों का दस्तावेजी और नियामकीय पालन न होना, गैर-योग्य स्टाफ की नियुक्ति, तथा पाठ्यक्रमों का असंगठित संचालन न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग का संकेत देता है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकता है.

 

संजय की प्रमुख मांगें हैं कि मदरसा अनुदानों के प्रबंधन की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच कराई जाए,अनुदान वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही के सख्त उपाय लागू किए जाएं,सभी मदरसों के प्रबंधकों का सत्यापन और पृष्ठभूमि जांच सुनिश्चित की जाए,दोषी अधिकारियों और संस्थानों के विरुद्ध प्रशासनिक और कानूनी कार्यवाही हो.

 

संजय शर्मा, जो लंबे समय से जनता के अधिकारों की रक्षा में सक्रिय हैं, का मानना है कि "शिक्षा और सुरक्षा के सवाल पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए.यह सिर्फ प्रशासनिक विषय नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक जवाबदेही और राष्ट्रहित का मुद्दा है."

 

उनकी यह पहल लोकतंत्र में नागरिक चेतना और सक्रियता का एक प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत करती है.देशभर में उनके प्रयास को नागरिक समाज एवं मानवाधिकार संगठनों से समर्थन मिल रहा है.

 

संजय शर्मा से मोबाइल/व्हाट्सऐप नंबर 8004560000, 9454461111, 7991479999 पर और
ईमेल sanjaysharmalko@gmail.com , sukaylegal@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है.

 

Friday, April 11, 2025

RTI कार्यकर्ता की मृत्यु के बाद भी नहीं मिला मुआवजा, संजय शर्मा की सतत पहल ने प्रशासन को झुका दिया

 






लखनऊ, 12 अप्रैल 2025

 

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के शंकरगढ़ी गांव निवासी और सामाजिक पारदर्शिता के लिए समर्पित RTI कार्यकर्ता देवकी नंदन शर्मा की आकस्मिक मृत्यु के बाद उनका परिवार आज भी सरकारी सहायता का इंतजार कर रहा है। लेकिन इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने का साहस दिखाया है देश के प्रमुख पारदर्शिता, जवाबदेही, मानवाधिकार एवं कानूनी अधिकारों के पैरोकार संजय शर्मा ने, जिनके अथक और निःस्वार्थ प्रयासों ने मथुरा जिला प्रशासन को हरकत में ला दिया।

 

 

संजय शर्मा, जो लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी हैं, ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को दंडित करने की मांग की है। उनका दावा है कि उपजिलाधिकारी मांट द्वारा उन्हें 09 अगस्त 2024 को भेजी गई रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया था कि मृतक के परिवार को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से आर्थिक सहायता हेतु रिपोर्ट भेज दी गई थी।

 

 

हालांकि, देवकी नंदन शर्मा के परिजनों ने बताया कि उन्हें अब तक कोई भी आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं हुई है। इस विरोधाभास और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करने के लिए संजय शर्मा ने केवल जिम्मेदार अधिकारियों से जवाबदेही की मांग की है, बल्कि शासन को यह याद भी दिलाया है कि एक RTI कार्यकर्ता की सेवा का मूल्य और उनके परिवार की पीड़ा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

 

 

संजय शर्मा की प्रतिबद्धता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब व्यवस्था चुप हो जाती है, तब आवाज़ उठाने वाला एक व्यक्ति भी बदलाव ला सकता है। यह उन्हीं की कोशिशों का नतीजा है कि जिला प्रशासन मथुरा ने मुख्यमंत्री कार्यालय को मुआवजे की संस्तुति भेजीहालांकि वह सहायता अब तक जमीन पर नहीं पहुंची है।

 

 

यह केवल एक पत्र नहीं, बल्कि एक संघर्ष का दस्तावेज़ हैजिसमें एक आम नागरिक ने अपने संवैधानिक अधिकारों और मानवाधिकारों की रक्षा हेतु अपनी भूमिका को निभाया है।

 

आज जब देश RTI कार्यकर्ताओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर सवालों से घिरा है, संजय शर्मा जैसे सामाजिक प्रहरी उम्मीद की वह किरण हैं, जो केवल सवाल उठाते हैं, बल्कि जवाब भी चाहते हैंजवाबदेही के साथ।

 

संजय ने देवकी के परिवार के लिए 15000000 रुपये इकट्ठे करने के लिए मिलाप ऑनलाइन प्लेटफार्म पर क्राउडफंडिंग की मुहिम भी शुरू की है जिसका लिंक https://milaap.org/fundraisers/support-sudha-sharma-2?utm_source=whatsapp&utm_medium=fundraisers-title&mlp_referrer_id=10498870 है l संजय को उम्मीद है कि 150 करोड़ आबादी वाले इस देश के सजग नागरिक पारदर्शिता के लिए समर्पित RTI कार्यकर्ता देवकी नंदन शर्मा की आकस्मिक मृत्यु के बाद उनके परिवार की सहायता के लिए खुले दिल से आगे आयेंगे और डेढ़ करोड़ रुपये इकठ्ठा करके उनके परिवार को सौंपेंगे l

 

संजय ने बताया कि भविष्य में होने वाले एक कार्यक्रम में देवकी नंदन शर्मा के परिवार को लखनऊ बुलाकर सम्मानित भी किया जायेगा.

 

संजय शर्मा से मोबाइल नंबर 8004560000, 9454461111, 7991479999 पर संपर्क किया जा सकता है और उनका ईमेल पता sanjaysharmalko@icloud.com है।