लखनऊ,शनिवार,27 जनवरी 2024 ...............................
आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की प्रमुख जनसमस्याओं में से एक समस्या सरकारी एजेंसियों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण इन एजेंसियों की सरपरस्ती में नालों और ड्रेनेज सिस्टम का अतिक्रमण कराकर इनके ऊपर कराये गए अवैध निर्माणों और शहर के नालों और ड्रेनेज सिस्टम की सफाई कराने के लिए आये धन से मानकों के अनुसार सफाई कराने के स्थान पर धन का बंदरबांट कर महज कागजी खानापूर्ति करने के कारण होने वाले जल भरावों की है. जहाँ एक तरफ इन अतिक्रमणों और अवैध निर्माणों के कारण आम जनमानस को निरंतर ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ मानकों के अनुसार सफाई नहीं होने के कारण लगातार बढती जा रही गाद से चोक हो रहे नाले और ड्रेनेज सिस्टम के सामान्य सी बरसात होते ही उफनने के कारण हुई वाटर लॉगिंग आम जनमानस को घर से बहार निकलते ही नरक में होने जैसा अहसास करा देती है. बरसात के मौसम में राजधानी के कई इलाकों के नागरिकों को तो घर से बाहर निकलने की जरूरत भी नहीं पड़ती है और प्रायः ही उनके घरों में गुस आया पानी उनको नरक में होने जैसा अहसास करा देता है.
इन जन समस्याओं को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में वरिष्ठ पत्रकार,कैंसर सरवाइवर, कैंसर एक्टिविस्ट,पूर्व सदस्य उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति एवं पूर्व जेल विजिटर संजोग वाल्टर द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर श्रीमती संगीता चंद्रा और अजय कुमार श्रीवास्तव-I की बेंच ने बीती 17 जनवरी को हुई सुनवाई में सख्त रुख अख्तियार करते हुए शासन, लखनऊ नगर निगम,लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ( केजीएमयू ) समेत सभी उत्तरदाताओं को तीन सप्ताह के भीतर मामले में अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले को आगामी 15 फरवरी को फ्रेश केस मानकर सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया है.
बताते चलें कि संजोग वाल्टर द्वारा यह जनहित याचिका कई प्रार्थनाओं के साथ दायर की गई है, जिसका सार उत्तरदाताओं को शहर में जल निकासी प्रणाली की उचित सफाई के लिए नगर निगम अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत दिए गए अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए एक परमादेश की मांग करना है ताकि बरसात के मौसम में जल जमाव की संभावना से बचा जा सके और नालों,नालियों के पास हुए अवैध निर्माण को हटवाने सहित ड्रेनेज सिस्टम,जल जमाव की नियमित सफाई के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार कर उनका अनुपालन सुनिश्चित हो सके.
संजोग ने याचिका में यह भी प्रार्थना की है कि लखनऊ शहर के निचले इलाकों से पानी की निकासी के लिए स्थापित पंपों के उचित कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए विपक्षियों को एक परमादेश ( मेंडामस ) जारी किया जाए और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एक स्वतंत्र जांच भी कराई जाए जो इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा बजट उपलब्ध कराए जाने के बावजूद लखनऊ शहर के लिए नालियों,नालों,ड्रेनेज सिस्टम की सफाई के अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं.
मामले की सुनवाई में संजोग के अधिवक्ता शिखर चौबे, अशोक कुमार चौबे और सौरभ सिंह द्वारा यह तथ्य भी प्रस्तुत किया गया कि संजोग द्वारा जवाहर नगर, लखनऊ में संक्रामक रोग अस्पताल, लखनऊ के पास इसकी चारदीवारी के अवैध निर्माण के सम्बन्ध में की गई शिकायत पर संबंधित अधिकारी द्वारा प्रस्तुत जवाब में यह स्वीकार किया गया है कि जवाहर नगर क्षेत्र में चल रहे नालों,ड्रेनेज सिस्टम पर अतिक्रमण है. संजोग ने अपनी याचिका में कई अन्य सूचनाओं का भी हवाला दिया है जो लखनऊ शहर में जल निकासी व्यवस्था की सफाई के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा सूचना के अधिकार ( आरटीआई ) अधिनियम के तहत दिए गए आवेदन के आधार पर निकाली गई हैं.
याचिका में विपक्षियों की तरफ से मुख्य स्थाई अधिवक्ता के अतिरिक्त अधिवक्तागण नमित शर्मा, रत्नेश चंद्र, सवित्रा वर्धन सिंह, शुभम त्रिपाठी और शैलेश सिंह चौहान उपस्थित हुए. सुनवाई में नगर निगम, लखनऊ की और से उपस्थित वकील ने कार्यक्रम कार्यान्वयन इकाई,संबंधित ठेकेदार द्वारा नाला के निर्माण से संबंधित तस्वीरें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कीं और मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने की प्रार्थना की जिसके बाद मंच ने सभी विपक्षियों को तीन सप्ताह के भीतर मामले में अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले को आगामी 15 फरवरी को फ्रेश केस मानकर सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया है.
संजोग ने बताया कि उनको पूरी उम्मीद है कि न्यायालय इस मामले में नालों,नालियों के पास हुए अवैध निर्माण को हटवाने,ड्रेनेज सिस्टम,जल जमाव की नियमित सफाई के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार कराकर उनका अनुपालन सुनिश्चित कराने,लखनऊ शहर के निचले इलाकों से पानी की निकासी के लिए स्थापित पंपों के उचित कामकाज को सुनिश्चित कराने और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ एक स्वतंत्र जांच कराने का परमादेश जारी कर आम जनमानस को ट्रैफिक जाम और वाटर लॉगिंग की समस्याओं से स्थाई रूप से निजात अवश्य दिलाएगा.