लखनऊ, 23 नवम्बर 2024 — एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और कानूनी अधिकारों के पैरोकार संजय शर्मा ने 25वीं अंतर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के लिए आमंत्रित प्रमुख न्यायाधीशों, विधिक विशेषज्ञों और अन्य सम्माननीय व्यक्तित्वों से इस सम्मेलन के बहिष्कार की अपील की है, जो 20-24 नवम्बर 2024 के बीच लखनऊ में आयोजित होने वाला है। शर्मा ने यह अपील सिटी मोंटेसरी स्कूल (CMS) द्वारा सम्मेलन आयोजित करने के कारण की है, क्योंकि यह संस्था गंभीर कानूनी, सुरक्षा और मानवाधिकार उल्लंघनों में लिप्त है।
सिटी मोंटेसरी स्कूल, जो भारत के सबसे बड़े निजी विद्यालयों के रूप में पहचाना जाता है, वर्तमान में एक ऐसे संस्थान के रूप में जांच के दायरे में है, जो कई कानूनी और संवैधानिक मानकों का उल्लंघन कर रहा है। संजय शर्मा ने अपने पत्र में उन उल्लंघनों की विस्तार से जानकारी दी है, जिनसे छात्रों, कर्मचारियों और समाज के व्यापक हितों को नुकसान हो रहा है।
शर्मा ने इस पत्र में चार प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला है:
1. आग सुरक्षा मानकों का उल्लंघन: सिटी मोंटेसरी स्कूल के विभिन्न कैम्पसों में आग सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्कूल के कई कैंपसों में आग बुझाने के उपकरण, अलार्म, और उचित निकासी मार्ग की कमी है, जो राष्ट्रीय भवन कोड 2005 के तहत अनिवार्य है। इस प्रकार की लापरवाही बच्चों और स्टाफ की जान को खतरे में डालती है, जिसे अनदेखा किया जा रहा है।
2. आवासीय और विकास मानकों का उल्लंघन: CMS के कैंपसों का निर्माण बिना आवश्यक मंजूरी के किया गया है, जो स्थानीय भवन निर्माण नियमों और भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 का उल्लंघन है। यह स्कूल के निर्माण की वैधता पर सवाल खड़ा करता है और भवन सुरक्षा के लिए गंभीर जोखिम उत्पन्न करता है।
3. शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) का उल्लंघन: सिटी मोंटेसरी स्कूल को शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के तहत बच्चों के प्रवेश में भेदभाव करने, अत्यधिक फीस वसूलने और मुफ्त शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के अधिकार का उल्लंघन है, और यह न्याय और समानता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
4. नगर निगम और पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी: CMS पर स्वच्छता, सैनिटेशन, और कचरा निस्तारण की समस्याओं के लिए आरोप लगे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्कूल परिसर में साफ-सफाई के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है, जो न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचाता है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 का उल्लंघन है, जो राज्य को सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने का कर्तव्य सौंपता है।
शर्मा का पत्र केवल सिटी मोंटेसरी स्कूल के कृत्यों की निंदा नहीं करता, बल्कि उन अधिकारियों और न्यायधीशों से भी यह सवाल करता है कि क्या वे ऐसे सम्मेलन में भाग लेने पर विचार करेंगे, जो एक ऐसे संस्थान द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जो कानूनी, संवैधानिक और मानवाधिकार उल्लंघनों में लिप्त है। शर्मा का तर्क है कि इस सम्मेलन में भाग लेकर वे यह जोखिम उठा सकते हैं कि वे एक ऐसे संस्थान की स्वीकृति दे रहे हैं, जो न्याय, सुरक्षा और मानवाधिकार के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है।
उन्होंने अपने पत्र में यह भी कहा कि अगर सम्मेलन में भाग लिया जाता है, तो यह एक खतरनाक उदाहरण पेश करेगा, क्योंकि यह ऐसे संस्थान के कार्यों को अप्रत्यक्ष रूप से सही ठहराएगा, जो कानून और शासन के मानकों का उल्लंघन कर रहा है। शर्मा ने सभी अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सिटी मोंटेसरी स्कूल सभी कानूनी, सुरक्षा और शैक्षिक मानकों का पालन करता है। यदि ऐसा नहीं है, तो सम्मेलन में भाग लेने का निर्णय पुनर्विचार करने योग्य है, ताकि इस प्रकार के उल्लंघनों का समर्थन करने से बचा जा सके।
शर्मा का यह पत्र न केवल सिटी मोंटेसरी स्कूल के कृत्यों के खिलाफ है, बल्कि उन अधिकारियों की भी आलोचना करता है जिन्होंने इन उल्लंघनों को नजरअंदाज किया है। यह पत्र उस संदेश को प्रदर्शित करता है जो दुनिया भर के न्याय और शासन के अग्रणी विचारकों से अपेक्षित है: क्या हम एक ऐसे संस्थान का समर्थन करेंगे जो बच्चों और समाज के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति लापरवाह है?
अंततः, यह सवाल उठता है कि क्या वे प्रमुख न्यायाधीश और विधिक अधिकारी जो इस सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं, वे न्याय, सुरक्षा और मानवाधिकार के सर्वोत्तम सिद्धांतों के पक्ष में खड़े होंगे, या एक ऐसे संस्थान का समर्थन करेंगे जो इन मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है। संजय शर्मा की अपील एक गहरी चेतावनी है, जो समाज और शिक्षा के क्षेत्र में वास्तविक बदलाव लाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।