लखनऊ / गुरूवार,02 फरवरी 2023 ..........................
सरकारी अमलों ने आरटीआई कानून का जैसा मज़ाक बना रखा है उसकी बानगी आपको इस मामले से मिल जायेगी. मामला काफी पुराना है और वर्ष 2016 का है. एक तरफ सूचना कानून 30 दिन में सूचना देने की बात करता है वहीँ दूसरी तरफ इस मामले में आरटीआई अर्जी को फुटबाल बनाकर लखनऊ का जिलाधिकारी कार्यालय, नगर निगम और विकास प्राधिकरण एक दूसरे के पाले में 6 साल तक धकेलते रहे. वह भी तब जबकि मागी गई सूचनाएं व्यापक लोकहित की सूचनाएं थीं और राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत अतिक्रमण हटाने से सम्बंधित थीं.
दरअसल राजधानी के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा संजय ने यह आरटीआई अर्जी लखनऊ के जिलाधिकारी कार्यालय में दायर करके राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत अतिक्रमण हटाने से सम्बंधित 10 बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी. संजय बताते हैं कि इस मामले में पूर्व सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट और वर्तमान सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही के पुरजोर प्रयासों के बाद भी उनको सूचना नहीं मिल पाई और जिले के प्रशासनिक अधिकारी आरटीआई कानून और सूचना आयोग को ठेंगे पर रखे रहे और तब हारकर शाही ने मलिहाबाद के तहसीलदार पर 25 हज़ार रुपयों का जुर्माना ठोंक दिया है और संजय की अपील को बिना सूचना पूरी दिलाये ही निस्तारित भी कर दिया है.
संजय बताते हैं कि सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट ने साल 2017 में आयोग की सुनवाई में उपस्थित हुए जिलाधिकारी लखनऊ के प्रतिनिधि त्रिभुवन सिंह और नगर निगम लखनऊ के प्रतिनिधि सहायक अभियंता तकनीकी के सामने यह निर्धारित कर दिया था कि सूचनाएं जिलाधिकारी कार्यालय से ही सम्बंधित थीं और जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा संजय की आरटीआई को नगर निगम भेजना और नगर निगम द्वारा लखनऊ विकास प्राधिकरण को भेजना अकारण ही था जिससे श्रम,साधन और समय नष्ट हो रहे थे.बिष्ट ने जिलाधिकारी लखनऊ कार्यालय के जनसूचना अधिकारी को दोषी पाते हुए 25 हज़ार रुपयों का दंड लगाया था और स्पष्टीकरण तलब किया था.
बिष्ट के रिटायरमेंट के बाद यह मामला सुनवाई के लिए शाही के समक्ष आया. बीते साल हुए सुनवाई में लखनऊ के बी. के. टी. तहसील के लेखपाल विमल सिंह, सरोजिनीनगर तहसील के अजय कुमार शुक्ला, मोहनलाल गंज तहसील की नायब तहसीलदार प्राची त्रिपाठी और तहसील सदर के संग्रह सहायक बृजेश कुमार तिवारी ने आयोग के समक्ष आकर संजय को सूचना दे देने की बात कही लेकिन मलिहाबाद के तहसीलदार ने सूचना नहीं दीं. इस तरह मलिहाबाद तहसील के तहसीलदार द्वारा आरटीआई कानून और आयोग को हल्के में लेने पर शाही ने कड़ा रुख अख्तियार किया और तहसीलदार को साशय सूचनाएं न देने का दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 25 हज़ार रुपयों का अर्थदंड अधिरोपित करते हुए वसूली आदेश पारित किया.
बीती 19 जनवरी को सूचना आयोग के रजिस्ट्रार ने लखनऊ के जिलाधिकारी को आदेशित किया है कि वे सम्बंधित तहसीलदार के वेतन से 25 हज़ार रुपयों का जुर्माना बसूलकर ट्रेज़री में जमा करें. रजिस्ट्रार ने इस आदेश की प्रति संजय के साथ-साथ प्रमुख सचिव राजस्व और राजस्व परिषद के अध्यक्ष को भी स्पीड पोस्ट से भेजी है.