Wednesday, August 31, 2022

एलडीए के मानचित्र सेल और जोन-7 के अधिशासी अभियंताओं पर 25-25 हज़ार का अर्थदंड : इंजीनियर संजय शर्मा के मामले में सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही की कड़ी कार्यवाही.

 लखनऊ/31 अगस्त 22……………

सूचना कानून को हल्के में लेना लखनऊ विकास प्राधिकरण ( एलडीए ) के मानचित्र सेल और जोन-7 के अधिशासी अभियंताओं को भारी पड़ गया है. उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही ने राजधानी निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा के एक मामले की सुनवाई करते हुए प्राधिकरण के इन दोनों अधिकारियों को साशय सूचनाएं उपलब्ध न कराने एवं सूचना आयोग के आदेश की अवहेलना करने का दोषी मानते हुए इनके विरुद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 250/- प्रतिदिन के हिसाब से पृथक-पृथक अर्थदंड अधिरोपित करते हुए वसूली का आदेश पारित कर दिया है.


 

संजय द्वारा साल 2020 के दिसम्बर महीने की 5 तारीख को मांगी गई सूचना के इस मामले में एलडीए के प्रथम अपीलीय अधिकारी ने बीते साल के मार्च महीने की 19 तारीख को मानचित्र सेल और जोन-7 के अधिशासी अभियंताओं को आदेशित किया था कि वे 15 दिन के अन्दर संजय को सूचनाएं उपलब्ध करा दें. इसके बाद भी संजय को सूचनाएं नहीं दिए जाने पर बीते साल के अक्टूबर महीने की 27 तारीख को हुई आयोग की सुनवाई में सूचनाएं देने में देरी करने के लिए एलडीए के इन दोनों अधिकारियों की आयोग के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थिति के साथ स्पष्टीकरण तलब किया गया और अन्यथा की स्थिति में अर्थदण्ड लगाने का नोटिस दिया गया. 


 

बीती जुलाई की 18 तारीख को हुई अगली सुनवाई में भी जब ये दोनों अधिकारी नोटिस के बाबजूद न तो आयोग के  सामने उपस्थित हुए और न ही इन्होने कोई स्पष्टीकरण दाखिल किया तो सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही ने इनको साशय सूचना नहीं देने का दोषी करार दिया और जुर्माना लगाते हुए मामले को समाप्त कर दिया.

शाही ने अपने आदेश में लिखा है कि अधिरोपित अर्थदंड की वसूली इन दोनों अधिकारियों के जनसूचना अधिकारियों के रूप में कार्यावधि की गणना के आधार पर पृथक-पृथक की जायेगी किन्तु किसी भी जनसूचनाधिकारी से वसूली जाने वाली अर्थदंड की धनराशि रुपये 25000/- से अधिक नहीं होगी.

शाही ने सूचना आयोग के रजिस्ट्रार को निर्देशित किया है कि वे इन दोनों अधिकारियों से अर्थदंड की वसूली कराकर धनराशि को सरकारी खजाने में जमा कराकर अनुपालन आख्या उनको उपलब्ध करायें. इस आदेश की प्रति अनुपालन के लिए प्रमुख सचिव आवास को भी भेजी गई है और मामले की पत्रावली संरक्षित करा दी है.

 


Thursday, August 25, 2022

एलडीए के रिकॉर्ड में नहीं हैं डा. एम. सी. सक्सेना ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशंस के नक़्शे : इंजीनियर संजय की शिकायत से खुलासा.

लखनऊ / शुक्रवार, 26 अगस्त 2022 ……………

लखनऊ के दुबग्गा क्षेत्र की आई.आई.एम. बाईपास रोड के पास 171, भरावनकला, माल रोड स्थित कैंपस में  डा. एम. सी. सक्सेना ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशंस के 6 निजी शिक्षण संस्थान चल रहे हैं. इनमें से किसी भी संस्थान की बिल्डिंग का स्वीकृत मानचित्र लखनऊ विकास प्राधिकरण ( एलडीए ) के रिकॉर्ड में नहीं है.चौंकाने वाला यह खुलासा राजधानी निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर की गई शिकायत पर प्राधिकरण के प्रवर्तन जोन-7 के सहायक अभियंता आर.एस.तोमर द्वारा बीती 11 अगस्त को दी गई जांच आख्या से हुआ है.

 


बकौल संजय भरावनकला स्थित कैंपस में  डा. एम. सी. सक्सेना ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेज के बैनर तले कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी, पॉलिटेक्निक संस्थान, कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट के साथ-साथ  कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी चल रहे हैं तथा कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंसेज शुरू होने की प्रक्रिया में  है. संजय कहते हैं कि उन्होंने इन 6 संस्थानों की बिल्डिंग्स में अब तक हुए वास्तविक निर्माणों की लखनऊ विकास प्राधिकरण के कार्यालय में उपलब्ध स्वीकृत मानचित्रों के सापेक्ष जांच कराने  तथा विचलन की स्थिति में नियमानुसार सीलिंग और ध्वस्तीकरण की कार्यवाही करने की मांग की थी.

 

संजय की शिकायत पर प्राधिकरण के अवर अभियंता भानु प्रकाश वर्मा ने शिकायत का भौतिक सत्यापन करते हुए जांच की है और इस जांच के बाद सहायक अभियंता तोमर ने डा. एम. सी. सक्सेना ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशंस को स्वीकृत मानचित्र की प्रतियाँ उपलब्ध  कराये जाने का आदेश देते हुए  एलडीए कार्यालय से पत्र प्रेषित करा दिये हैं.

 

तोमर ने संजय को यह भी बताया है कि डा. एम. सी. सक्सेना ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशंस द्वारा स्वीकृत नक़्शे जमा करने के लिए एलडीए द्वारा दी गई मियाद ख़त्म होने के बाद एलडीए आगे की कार्यवाही करेगा.

 


Tuesday, August 23, 2022

यूपी में सिंगल यूज पॉलिथीन बनाने की कोई फैक्ट्री नहीं : आरटीआई खुलासा.

लखनऊ / मंगलवार, 23 अगस्त 2022……………………….

सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से उत्तर प्रदेश में सिंगल यूज पॉलिथीन बनाने की कोई भी फैक्ट्री वित्तीय वर्ष 2020 से कभी भी थी ही नहीं. चौंकाने वाली इस बात का खुलासा राजधानी लखनऊ निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा की आरटीआई पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिए गए जवाब से हुआ है.

 



दरअसल संजय ने बीती 10 जुलाई को सूबे के मुख्यमंत्री कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर उत्तर प्रदेश राज्य में हाल ही में प्रतिबंधित की गई श्रेणियों के सिंगल यूज प्लास्टिक और सिंगल यूज पॉलिथीन बनाने वाली फैक्ट्रियों आदि से सम्बंधित 01-04-2020 से 10-07-2022 तक के कालखंड की 6 बिन्दुओं की सूचना सुसंगत रिकॉर्ड की सत्यापित प्रति के साथ मांगी थी. संजय ने जानना चाहा था कि राज्य सरकार द्वारा ऐसी  जितनी फैक्ट्रियों को बंद किया गया हो और वर्तमान में जो भी ऐसी फैक्ट्रियां चल रही हों उनकी संख्या और उनके नामों की सूचना उनको दी जाए.ऐसी फैक्ट्रियों को बंद कराने विषयक राज्य सरकार द्वारा जारी किये गए शासनादेशों की सत्यापित प्रतियाँ मांगने के साथ-साथ ऐसी फैक्ट्रियों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा की गई कार्यवाहियों की सूचना भी संजय ने मांगी थी.

 


मुख्यमंत्री कार्यालय ने बीती 10 जुलाई को संजय की आरटीआई अर्जी को राज्य के पर्यावरण विभाग को ट्रान्सफर कर दिया था. राज्य के पर्यावरण विभाग ने संजय की आरटीआई अर्जी को बीती 27 जुलाई को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ट्रान्सफर किया था जिस पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बीती 02 अगस्त को संजय को सूचना दी है कि उनकी आरटीआई अर्जी के बिंदु संख्या 1 से 6 तक की सूचना शून्य है क्योंकि बोर्ड में सिंगल यूज़ पॉलिथीन बनाने वाली कोई भी निर्माण इकाई पंजीकृत नहीं है.

 

सिंगल यूज़ पॉलिथीन का प्रयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित होने के बाद भी इस पॉलिथीन का प्रयोग बदस्तूर जारी है और छापेमारी में सरकारी विभागों को हमेशा भारी मात्रा में प्रतिबंधित श्रेणी की पॉलिथीन प्रयोग होते हुए मिलती है. संजय कहते हैं कि जब सूबे में प्रतिबंधित पॉलिथीन का निर्माण विगत कई वर्षों से हो ही नहीं रहा है तो इतनी भारी मात्रा में प्रतिबंधित श्रेणी की पॉलिथीन प्रयोग के लिए उपलब्ध होना राज्य सरकार के खुफिया तंत्र और अन्य सम्बंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा रहा है. संजय ने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से सार्वजनिक अपील की है कि वे राज्य सरकार के खुफिया तंत्र और अन्य सम्बंधित विभागों के पेंच कसकर सूबे में प्रतिबंधित पॉलिथीन के प्रयोग को पूरी तरह से धरातल पर बंद करायें. संजय ने आम जनमानस से भी अपील की है कि वे भी अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए अवैध रूप से चल रही पॉलिथीन निर्माण इकाइयों और पॉलिथीन विपणन कर रही इकाइयों की शिकायतें करके अथवा हेल्पलाइन 7991479999 पर सूचना देकर उनको बंद कराने में सहायक बनकर  स्वयं भी पॉलिथीन का प्रयोग बंद करें और आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ पर्यावरण का तोहफा और आशीर्वाद दें.

 

 


Tuesday, August 9, 2022

यूपी में बदहाल शिक्षा का अधिकार : राजधानी के 30% से भी कम निजी विद्यालय पोर्टल पर पंजीकृत : 34% विद्यालयों की नहीं हो पाई मैपिंग : 2831 स्कूलों में महज़ 1717 विद्यार्थियों को ही मिल पाया है प्रवेश.

 लखनऊ / मंगलवार, 9 अगस्त 2022………………..

यूपी के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) संदीप सिंह ने भले ही बेसिक शिक्षा विभाग की नई वेबसाइट का शुभारम्भ कर बड़े-बड़े दावे किये हैं लेकिन यदि आपको प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण योजना “शिक्षा के अधिकार” यानि कि आरटीई की बदहाली की नब्ज टटोलनी हो तो राजधानी लखनऊ की बानगी बहुत कुछ कह रही है जहाँ सूबे के बड़े बड़े राजनेताओं और आला अधिकारियों की नाक के नीचे नौनिहालों का शिक्षा का अधिकार दम तोड़ता नज़र आ रहा है.

 


चौंकाने वाला यह खुलासा लखनऊ निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा की सूचना कानून की अर्जी पर राजधानी के बेसिक शिक्षा अधिकारी के जवाब से हुआ है जिसके अनुसार सूबे की राजधानी में आरटीई की परिधि में आने वाले 2831 निजी विद्यालयों में से मात्र 1871 को ही बेसिक शिक्षा विभाग आरटीई के अंतर्गत मैप्ड कर पाया है. बेसिक शिक्षा विभाग की लाचारी का आलम देखिये कि इनमें से मात्र 848 विद्यालयों ने ही आरटीई पोर्टल पर पंजीकरण कराया है और बाकी बचे 1983 दबंग निजी क्षेत्र के स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग के आरटीई पोर्टल पर पंजीकरण नहीं करा रहे हैं और बेसिक शिक्षा विभाग टुकुर-टुकुर देखते रहने के आलावा कुछ नहीं कर पा रहा है.

 


 

बेसिक शिक्षा अधिकारी ने संजय को यह भी बताया है कि अब तक महज़ 1717 विद्यार्थियों को ही आरटीई के तहत निजी विद्यालयों में प्रवेश दिलाया जा सका है. संजय कहते हैं कि लखनऊ में कुल 2831 विद्यालय शिक्षा का अधिकार कानून से आच्छादित हैं जिनमें महज़ 1717 छात्रों को प्रवेश दिलाया जा सका है जो प्रति निजी विद्यालय एक छात्र से भी कम का औसत है और इस आधार पर संजय ने सामाजिक दायित्वों  और नैतिकता की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लखनऊ के सभी बड़े कहे जाने वाले निजी विद्यालयों के प्रबंध तंत्र का मुखौटे के पीछे छिपा दोहरे मापदंड रखने वाला लालची और असली चेहरा इस खुलासे से खुद-ब-खुद सामने आ जाने की बात जोरदार ढंग से कही है.  

 


संजय आगे कहते हैं कि यदि जांच की जाए तो इन 1717 बच्चों में से भी अधिकतर बच्चे इन विद्यालयों के प्रबंधन और स्टाफ के सिफारिशी निकलेंगे. संजय ने सभी राजनेताओं, अधिकारियों , धर्मगुरुओं , समाजसेवियों और पत्रकारों से अपील की है कि वे उन सभी बड़े निजी विद्यालयों के सामाजिक कार्यक्रमों का तब तक वहिष्कार करें जब तक ये निजी विद्यालय गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा के अधिकार का शत-प्रतिशत हक देकर अपनी कथनी और करनी के अंतर को मिटा नहीं देते हैं.

 


संजय ने राज्य सरकार से भी अपील की है कि वह शिक्षा के अधिकार के क्रियान्वयन के प्रति और गंभीरता से कदम उठाकर निजी विद्यालयों पर नकेल कसकर प्रदेश के नौनिहालों को उनका पढने का पूरा हक़ दिलाये.

 




 

ü 848 स्कूलों की सूची देखें और डाउनलोड कर निःशुल्क प्रयोग करें.    https://tahririndia.blogspot.com/2022/08/2831-847.html  

 

v 1717 छात्रों की सूची देखें और डाउनलोड कर निःशुल्क प्रयोग करें.            https://tahririndia.blogspot.com/2022/08/1717.html