लखनऊ / 31 जुलाई 2019 ........
लुधियाना-चंडीगढ़ रेल ट्रैक बनाने के लिए रेलवे द्वारा एक्वायर की गई सम्पूर्ण सिंह नाम के किसान की जमीन के मुआवजे का भुगतान नहीं करने पर अदालत द्वारा स्वर्ण शताब्दी ट्रेन और लुधियाना स्टेशन की कुर्की करने का आदेश देने का मामला साल 2017 का था. तब इस मामले की बजह से केंद्र सरकार और रेल विभाग की दुनियाभर में बड़ी फजीहत हुई थी. तब से अब तक लगभग 2 साल बीत जाने पर भी केंद्र सरकार और रेल विभाग ने इस भयंकर चूक की जिम्मेदारी रेल विभाग के किसी भी अधिकारी और कर्मचारी पर फिक्स नहीं की है. चौंकाने वाला यह खुलासा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित ‘तहरीर’ नाम के सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नामचीन मानवाधिकार कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा रेल विभाग में दायर की गई एक आरटीआई के जबाब से हुआ है.
बताते चलें कि ‘पारदर्शिता, जबाबदेही और मानवाधिकार क्रांति के लिए एक पहल’ नामक यह संस्था लोकजीवन को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए कार्य कर रही देश की अग्रणी संस्थाओं में से एक है और संस्था अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी मोबाइल हेल्पलाइन 7991479999 भी चला रही है.
उत्तर रेलवे के उप मुख्य अभियंता निर्माण द्वितीय चंडीगढ़ ने बीती 23 जुलाई को पत्र जारी करके संजय को बताया है कि सम्पूर्ण सिंह को मुआवजा देने के न्यायालय के आदेश का अनुपालन ना करने के लिए रेलवे के किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी को दोषी नहीं पाया गया है .
संजय बताते हैं कि दी गई सूचना से सामने आ रहा है कि रेल विभाग ने इस मामले का पूरा दोष रेलवे का केस देख रहे वकील इकबाल सिंह के सर मढ़ दिया है लेकिन इकबाल सिंह के खिलाफ भी कार्यवाही करने के नाम पर प्रधान कार्यालय को एक पत्र लिखकर खानापूर्ति मात्र कर दी है. वकील इकबाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही की सिफारिश वाला यह पत्र आज भी प्रधान कार्यालय की फाइलों में दफन है.
संजय कहते हैं कि इस मामले से साफ हो रहा है कि किस तरह से सरकारी तंत्र में जबाबदेही ख़त्म होती जा रही है जिसकी बजह से भ्रष्टाचार आसानी से गहरे तक अपनी पैठ बनाता चला जा रहा है. संजय ने बताया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर रेल विभाग की इस भयंकर चूक के मामले में रेल विभाग के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को चिन्हित करके दण्डित करने की मांग करेंगे l