Saturday, October 12, 2019

वेबसाइट्स पर अधिक सूचना डालने के लिए मोदी सरकार की और देश भर में सर्वाधिक पीआईओ को दण्डित करने के लिए यूपी सूचना आयोग की हुई प्रशंसा : शहीद आरटीआई एक्टिविस्टों को श्रद्धांजलि देकर ‘तहरीर’ संस्था ने मनाई RTI एक्ट की 14वीं वर्षगांठ.


लखनऊ/12 अक्टूबर 2019 ………….

12 अक्टूबर 2005 को पूरे देश में लागू हुआ पारदर्शिता का कानून यानि कि सूचना का अधिकार अधिनियम आज 15वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. आरटीआई एक्ट की 14वीं सालगिरह के अवसर पर यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के सदस्यों ने एक सादा समारोह में पारदर्शिता और जबाबदेही की जंग में शहीद हो चुके देश भर के सैकड़ों सूचना का अधिकार कार्यकर्ताओं की निःस्वार्थ वीरता को नमन करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किये और एक्ट के क्रियान्वयन के विभिन्न आयामों पर विस्तृत परिचर्चा की l 

 

तहरीर के राष्ट्रीय अध्यक्ष और इंजीनियर संजय शर्मा ने बताया कि गैर-सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक देश में 100 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है और 500 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ता गंभीर उत्पीडन का शिकार हो चुके हैं. सूचना का अधिकार कानून को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत हथियार बताते हुए संजय ने कहा कि हालाँकि यह अधिकार देश के प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है लेकिन आम जनमानस की उदासीनता के कारण ही इस कानून के  लागू होने के 14 साल भी देश की महज ढाई फीसदी ( 2.5% ) आबादी ही इस कानून का प्रयोग कर पाई है.

 


बताते चलें कि ‘तहरीर नामक संस्था देश भर में पारदर्शिता, जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही अग्रणी संस्थाओं में से एक है. कार्यक्रम में बोलते हुए संजय ने कहा  कि भारत का आरटीआई कानून लागू होते समय  विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर था लेकिन लचर क्रियान्वयन के कारण भारत साल 2016 में विश्व रैंकिंग नीचे गिरकर चौथे स्थान पर आ गया और साल 2018 में 2 पायदान और नीचे गिरकर छठे स्थान पर आ गया है जो चिंताजनक है.



आरटीआई एक्ट का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो पाने के लिए आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन के सभी स्टेकहोल्डर्स आम जनता, लोक प्राधिकारी, सूचना आयोग, सरकार आदि को जिम्मेवार बताते हुए संजय ने सभी स्टेकहोल्डर्स से अपनी अपनी तयशुदा जिम्मेवारियों को और अधिक ईमानदारी से निभाने की अपील की.

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अधिक से अधिक सूचना वेबसाइट्स पर डालने की नीति की सराहना करते हुए संजय ने उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्तों द्वारा देश भर में सर्वाधिक मामलों में आरटीआई एक्ट की धारा 20 के तहत जन सूचना अधिकारियों को दण्डित करने के लिए यूपी के सूचना आयुक्तों को सार्वजनिक साधुवाद ज्ञापित किया.  संजय ने बताया कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक्ट लागू होने के बाद के 13 वर्षों में  देश भर के सभी सूचना आयोगों ने लगभग 16 हज़ार मामलों में जन सूचना अधिकरियों को दण्डित किया था जिनमें से यूपी के सूचना आयोग ने अकेले ही मात्र 2 ही वर्षों  में 1500 के लगभग जन सूचना अधिकरियों पर दंड लगा दिया है जो सराहनीय है.


आरटीआई एक्ट को नागरिकों और सरकारों के बीच पारस्परिक पंहुच के लिए एक पुल जैसा बताते हुए संजय ने निजी स्वार्थ के लिए आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग करने वाले लोगों की भर्त्सना की और सरकार से आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा और संरक्षण देने की नीति के साथ-साथ एक्ट का दुरुपयोग रोकने के लिए भी नीति बनाने की मांग की है.

संजय ने बताया कि एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संस्था के माध्यम से देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री तथा सभी प्रदेशों के राज्यपाल व मुख्यमंत्रियों को 10 सूत्रीय ज्ञापन भेजा जाएगा ताकि एक्ट विश्व रैंकिंग में फिर से पहले स्थान पर आ सके.

संजय ने बताया कि आज के समागम में निर्णय लिया गया है कि आगामी दिसम्बर माह में संस्था तहरीर पारदर्शिता, जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के मुद्दे पर एक राष्ट्रीय सेमिनार और सम्मान समारोह का आयोजन करेगी जिसमें जनसामान्य के लिए आरटीआई एक्ट का प्रयोग करने के लिए देश भर में विख्यात आरटीआई कार्यकर्ता ज्ञानेश पाण्डेय को सम्मानित किया जाएगा.

Wednesday, July 31, 2019

गजब RTI खुलासा : अदालती आदेश की नाफ़रमानी पर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस और लुधियाना स्टेशन कुर्की का आदेश हो गया पर रेल विभाग का कोई अधिकारी या कर्मचारी दोषी नहीं !


लखनऊ / 31 जुलाई 2019 ........

लुधियाना-चंडीगढ़ रेल ट्रैक बनाने के लिए रेलवे द्वारा एक्वायर की गई सम्पूर्ण सिंह नाम के किसान की जमीन के मुआ‌वजे का भुगतान नहीं करने पर अदालत द्वारा स्वर्ण शताब्दी ट्रेन और लुधियाना स्टेशन की कुर्की करने का आदेश देने का मामला साल 2017 का था. तब इस मामले की बजह से केंद्र सरकार और रेल विभाग की दुनियाभर में बड़ी फजीहत हुई थी. तब से अब तक लगभग 2 साल बीत जाने पर भी केंद्र सरकार और रेल विभाग ने इस भयंकर चूक की जिम्मेदारी रेल विभाग के किसी भी अधिकारी और कर्मचारी पर फिक्स नहीं की है. चौंकाने वाला यह खुलासा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित तहरीरनाम के सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नामचीन मानवाधिकार कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा रेल विभाग में दायर की गई एक आरटीआई के जबाब से हुआ है.


बताते चलें कि पारदर्शिता, जबाबदेही और मानवाधिकार क्रांति के लिए एक पहल नामक यह संस्था लोकजीवन को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए कार्य कर रही देश की अग्रणी संस्थाओं में से एक है और संस्था अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी मोबाइल हेल्पलाइन 7991479999 भी चला रही है. 



उत्तर रेलवे के उप मुख्य अभियंता निर्माण द्वितीय चंडीगढ़ ने बीती 23 जुलाई को पत्र जारी करके संजय को बताया है कि सम्पूर्ण सिंह को मुआवजा देने के न्यायालय के आदेश का अनुपालन ना करने के लिए रेलवे के किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी को दोषी नहीं पाया गया है .


संजय बताते हैं कि दी गई सूचना से सामने आ रहा है कि रेल विभाग ने इस मामले का पूरा दोष रेलवे का केस देख रहे वकील इकबाल सिंह के सर मढ़ दिया है लेकिन इकबाल सिंह के खिलाफ भी कार्यवाही करने के नाम पर प्रधान कार्यालय को एक पत्र लिखकर खानापूर्ति मात्र कर दी है. वकील इकबाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही की सिफारिश वाला यह पत्र आज भी प्रधान कार्यालय की फाइलों में दफन है. 



संजय कहते हैं कि इस मामले से साफ हो रहा है कि किस तरह से सरकारी तंत्र में जबाबदेही ख़त्म होती जा रही है जिसकी बजह से भ्रष्टाचार आसानी से गहरे तक अपनी पैठ बनाता चला जा रहा है. संजय ने बताया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर रेल विभाग की इस भयंकर चूक के मामले में रेल विभाग के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को चिन्हित करके दण्डित करने की मांग करेंगे  l