Monday, July 31, 2017

UP: जनता दर्शन और जनसुनवाई के नाम पर बाबाजी का ठुल्लू !

UP-महज दिखावा बने CM योगी के जनता दर्शन और जनसुनवाई : RTI खुलासा ।

लखनऊ/31 जुलाई 2017

यूपी की आम जनता को उसकी परेशानियों से निजात दिलाने की बात कहकर योगी से राजा बने आदित्यनाथ भी सत्तानशीन होने के बाद पहले के मुख्यमंत्रियों की मानिंद अपने वादे पूरे नहीं कर पा रहे हैं और सरकार बदलने पर नई सरकार द्वारा बड़ी-बड़ी बातें कर जनता को नई उम्मीदें बंधाने पर उन उम्मीदों पर खरा न उतरने की पुरानी परिपाटी का अनुसरण करते नज़र आ रहे हैं।यह बात योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार और मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के संदर्भ में उठाई गई है और यह बात उठाई गई है यूपी की राजधानी लखनऊ में रहने वाले इंजीनियर और आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय में दायर की गई आरटीआई पर दिए गए जबाब के आधार पर।

दरअसल मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्यमंद करने वाले समाजसेवी संजय शर्मा ने बीते मई महीने  में मुख्यमंत्री कार्यालय में एक एक आरटीआई अर्जी देकर जनता दरबारों के संबंध में 6 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी।संजय की RTI पर मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुभाग अधिकारी और जनसूचना अधिकारी सुनील
 कुमार मंडल ने बीते 10 जुलाई को पत्र भेजकर जो सूचना दी है उससे सीएम योगी की जनता दरबार और जनसुनवाई जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर शासन की असंवेदनशीलता और गैर जिम्मेवाराना रवैये को उजागर करके रख दिया है।

मंडल ने संजय को बताया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में विभिन्न माध्यमों से प्राप्त प्रत्यावेदन IGRS प्रणाली के अंतर्गत अपलोड किये जाते है और इनका अलग से कोई डाटा  उपलब्ध नहीं होने के कारण जनता दरबारों में प्राप्त शिकायतों और इन शिकायतों में से निस्तारित शिकायतों की सूचना देने में असमर्थता व्यक्त कर दी है।

जनता दरबारों में प्राप्त शिकायतों के आधार पर किसी भी अधिकारी को दंडित न किये जाने और जनता दरबारों पर राजकोष से व्यय की गई धनराशि की जानकारी न होने का चौंकाने वाला खुलासा भी मंडल के इस जबाब से हुआ है।

एक्टिविस्ट संजय ने इस RTI खुलासे के आधार पर सीएम योगी के जनता दरबारों और IGRS के नाम पर चल रहे ऑनलाइन जनसुनवाई पोर्टल को जनता के साथ किया जा रहा छलावा बताया है और सीएम योगी को पत्र लिखकर जनता दरबारों और IGRS जनसुनवाई पोर्टल की शिकायतों के अनुश्रवण और दोषी लोकसेवकों को दंडित करने की मुकम्मल व्यवस्था करने और उसे लगातार बनाये रखने की मांग उठाने की बात कही है।

PIL एक्टिविस्ट संजय ने बताया कि यदि सीएम जनहित के इस मुद्दे पर गंभीरता पूर्वक कार्य करने में विफल रहते है तो वे इस मामले को जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय लेकर जाएंगे।


Thursday, July 20, 2017

UP : दागी मंत्री पर अखिलेश की तरह मुलायम योगी।



लखनऊ/20 जुलाई 2017

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर अपने पूर्ववर्ती सीएम अखिलेश यादव की तरह अपने दागी मंत्री पर मुलायम रुख अख्तियार करने और कोई कार्यवाही न करने का आरोप लग रहा है। यह मंत्री हैं यूपी के राज्यमंत्री मोहसिन रज़ा और सीएम आदित्यनाथ पर यह आरोप लगाया है राजधानी लखनऊ के आरटीआई कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा ने।शर्मा ने योगी पर यह आरोप उनके द्वारा उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव कार्यालय में दायर की गई आरटीआई पर गोपन विभाग के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी धर्मपाल सिंह द्वारा दिये गए जबाब के आधार पर लगाया है।

संजय ने बताया कि शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने योगी के मंत्री मोहसिन रज़ा द्वारा वक्फ कागज़ातों में कूटरचना कर कब्रों की बिक्री कर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हुए योगी से शिकायत कर जांच की मांग करने संबंधी समाचार संज्ञान में आने पर उन्होंने बीते मई महीने में यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई दायर कर दागी मंत्री रज़ा के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई कार्यवाही के संबंध में 6 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी।मुख्य सचिव कार्यालय के अनुसचिव एवं जन सूचना अधिकारी पी. के. पांडेय ने बीते 31 मई को संजय का RTI आवेदन गोपन अनुभाग-1 को अंतरित किया था।गोपन अनुभाग-1 के पीआईओ धर्मपाल सिंह ने बीते 19 जून के पत्र के माध्यम से संजय को बताया है कि मोहसिन रज़ा के कथित अपराध और भ्रष्टाचार से संबंधित कोई भी शिकायती पत्र गोपन अनुभाग-1 में प्राप्त नहीं हुआ है और इस आधार पर रज़ा के खिलाफ जांच,कार्यवाही,स्पस्टीकरण,FIR आदि से संबंधित सूचना देने से मना कर दिया है।

लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही स्थापित करने वाले के क्षेत्र में मुखर रूप कार्यशील संजय कहते हैं कि योगी ने बीते मार्च में यूपी की बागडोर संभालते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की बड़ी-बड़ी बातें करते हुए 'जीरो टॉलरेंस टु करप्शन' का दम भरते हुए अनगिनत घोषणाएं कीं थीं पर अब खुद के मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप पर दागी मंत्री का स्पस्टीकरण तलब करने या जांच बैठाने जैसी प्राथमिक कार्यवाही शुरू तक न कराने से यह साफ होता जा रहा है कि यूपी में सिर्फ नाम बदले है और सत्ता आज भी उच्च पदासीन भ्रष्ट व्यक्तियों को बचाने की उसी मानसिकता से काम कर रही है जिससे पूर्ववर्ती सपा शासनकाल में कर रही थी।

संजय ने बताया कि वे इस संबंध में सूबे राज्यपाल से व्यक्तिगत भेंटवार्ता हेतु मिलने का समय लेकर उनको सम्पूर्ण प्रकरण से अवगत कराकर उनसे इस प्रकरण में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने की मांग करेंगे।

Tuesday, July 18, 2017

योगी आदित्यनाथ,महंत अवैद्धनाथ के चुनावी हलफनामे सार्वजनिक करने से इंकार।

यूपी की सरकार ने सूबे के वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके आध्यात्मिक गुरु महंत अवैद्धनाथ समेत गोरखपुर के अब तक के सभी विजयी सांसदों के चुनावी हलफनामों को आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है।चौंकाने वाला यह खुलासा सूबे की राजधानी लखनऊ के मानवाधिकार कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर की गई एक आरटीआई पर गोरखपुर के सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा दिये गए जबाब से हुआ है।

संजय ने बताया कि उन्होंने बीते मई माह में एक आरटीआई दायर कर साल 1951-52,1957,1962,1971,1977,1980,1984,1991,1996,1998,1999,2004,2009 और 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में यूपी की गोरखपुर सीट से विजयी हुए प्रत्याशियों के चुनावी हलफनामों की प्रतियां मांगी थीं।गोरखपुर के सहायक जिला निर्वाचन 
अधिकारी और जन सूचना अधिकारी ने बीते 19 जून को संजय को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव नियोजन के आदेश दिनांक 18 अप्रैल 2017 का हवाला देते हुए चुनावी हलफनामे आरटीआई में सार्वजनिक करने से मना कर दिया है।

एक्टिविस्ट संजय ने बताया कि हालाँकि चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के चुनावी हलफनामे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना आरंभ किया है किंतु पूर्व के वर्षों के हलफनामे वेबसाइट पर न होने के कारण ही उन्होंने यह आरटीआई लगाई थी जिस पर गलत आधार देते हुए सूचना देने से मना किया गया है जो गैरकानूनी है।संजय ने जनसूचना अधिकारी पर सीएम की चापलूसी में आरटीआई एक्ट के उल्लंघन का आरोप भी लगाया है।


जनसूचना अधिकारी के जबाब से असंतुष्ट संजय ने इस मामले में अपील दायर कर सूचना लेने की बात कही है।