Wednesday, November 20, 2024

सिटी मोंटेसरी स्कूल द्वारा आयोजित मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का बहिष्कार करने की अपील.

 


लखनऊ, 20 नवम्बर 2024: 

सिटी  मोंटेसरी स्कूल (CMS) द्वारा आयोजित की जा रही 25वीं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख न्यायाधीशों, जनता के नुमाइन्दों  और अन्य अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि वे इस आयोजन का बहिष्कार करें, क्योंकि  सिटी  मोंटेसरी स्कूल कई गंभीर कानूनी और सुरक्षा उल्लंघनों में लिप्त है।

 

संजय शर्मा, एक कानूनी जागरूकता कार्यकर्ता और मानवाधिकार रक्षक, ने एक पत्र के माध्यम से इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित लोगों से अपील की है कि वे इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखें, जब तक कि  सिटी  मोंटेसरी स्कूल द्वारा किए गए उल्लंघनों को दूर नहीं किया जाता।

 

पत्र में शर्मा ने चार प्रमुख उल्लंघनों की ओर ध्यान आकर्षित किया:

 

1. अग्नि सुरक्षा मानकों का उल्लंघन 

    सिटी  मोंटेसरी स्कूल के विभिन्न कैंपसों में अग्नि सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। स्कूल के कई कैंपसों में अग्नि अलार्म, उचित अग्नि निकासी और अग्नि-रोकथाम उपकरणों की कमी पाई गई है, जो बच्चों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बनते हैं।

 

2.आवास और विकास मानकों का उल्लंघन 

   स्कूल ने स्थानीय निर्माण और शहरी योजना के नियामकों का पालन नहीं किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्कूल की इमारतें बिना उचित स्वीकृतियों के बनाई गई हैं, जो सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करती हैं।

 

3. शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) का उल्लंघन 

   स्कूल ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE) का उल्लंघन किया है। CMS पर आरोप है कि यह स्कूल बच्चों से अत्यधिक शुल्क वसूलता है, जो संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।

 

4. नगर निगम और नागरिक अधिकारियों के मानकों की अनदेखी 

    सिटी  मोंटेसरी स्कूल ने नगर निगम के विभिन्न नियमों का पालन नहीं किया है, जिनमें सफाई, कचरा निस्तारण, और पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन शामिल है। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य भी खतरे में है।

 

संजय शर्मा ने पत्र में कहा कि जब तक  सिटी  मोंटेसरी स्कूल इन उल्लंघनों को ठीक नहीं करता, तब तक इस सम्मेलन में भाग लेने से बचना चाहिए, क्योंकि यह न्याय और शासन के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि सम्मेलन में भाग लेने से स्कूल की अव्यवस्था और कानूनी उल्लंघनों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन मिल सकता है, जो न केवल भारत, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कानून और न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।

 

शर्मा ने सम्मेलन में भाग लेने वालों से अपील की कि वे  सिटी  मोंटेसरी स्कूल द्वारा किए गए इन गंभीर उल्लंघनों की जांच करें और सुनिश्चित करें कि सभी कानूनी, सुरक्षा, और शिक्षा संबंधी मानकों का पालन किया जा रहा है। यदि उल्लंघन दूर नहीं किए जाते हैं, तो उन्होंने सम्मेलन का बहिष्कार करने का अनुरोध किया है।

 

संजय शर्मा का मानना है कि न्याय, पारदर्शिता, और मानवाधिकारों का सम्मान किए बिना कोई भी सम्मेलन प्रभावी नहीं हो सकता है। उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए सभी संबंधित अधिकारियों से इन उल्लंघनों को शीघ्र सुधारने की मांग की है।

Thursday, October 17, 2024

आरटीआई जवाब में उत्तर प्रदेश में अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम पर महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा


लखनऊ
/ शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2024...........

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के विधि विभाग के जन सूचना अधिकारी (PIO) राजेंद्र प्रसाद यादव द्वारा दिए गए आरटीआई जवाब से अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। यह आरटीआई देश के प्रमुख कानूनी जागरूकता, पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा द्वारा दायर की गई थी। संजय शर्मा, जो अपने निःस्वार्थ समर्पण के लिए जाने जाते हैं, ने समाज के कल्याण और न्याय के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे केवल कानूनी समुदाय बल्कि पूरे समाज को लाभ हो रहा है।

 


शर्मा द्वारा बीती 16 सितम्बर को दायर की गई इस आरटीआई के माध्यम से उत्तर प्रदेश में लंबे समय से लंबित अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम के क्रियान्वयन की स्थिति और इसके संबंध में की गई चर्चाओं की जानकारी मांगी गई थी। संजय शर्मा की यह पहल उनके न्याय और कानूनी समुदाय के कल्याण के प्रति समर्पण को दर्शाती है, और यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी नीतियों और कार्रवाइयों को जनता के समक्ष पारदर्शी रूप में प्रस्तुत किया जाए।

 

आरटीआई प्रतिक्रिया 7 अक्टूबर 2024 को जारी की गई है, जो आरटीआई अधिनियम द्वारा निर्धारित 30 दिनों की समय सीमा के भीतर है।

 

आरटीआई जवाब से हुए प्रमुख खुलासे हैं :

 

1.    विधेयक की लंबित स्थिति: आरटीआई के जवाब में यह पुष्टि की गई है कि राज्य सरकार ने अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम की आवश्यकता को स्वीकार किया है, लेकिन अभी तक इस विधेयक को विधानसभा में पेश नहीं किया गया है। इस देरी ने उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है, जो अपने कार्य में कई प्रकार की चुनौतियों और खतरों का सामना करते हैं।

2.    विधि विभाग की भूमिका: उत्तर प्रदेश का विधि विभाग अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम से संबंधित प्रस्तावों के प्रारूपण में शामिल रहा है। हालांकि, विभागीय विचार-विमर्श के बावजूद, यह प्रक्रिया अपेक्षा से धीमी रही है। इस खुलासे से कानूनी समुदाय में सरकार से जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को तेज करने की मांग उठी है।

3.    अधिवक्ताओं की सुरक्षा: जवाब में अधिवक्ताओं की सुरक्षा के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। सरकार की मंशा अधिवक्ताओं को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने की है, लेकिन इस मंशा और वास्तविक क्रियान्वयन के बीच अब भी अंतर बना हुआ है।

4.    तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता: आरटीआई में राज्य में तत्काल अधिवक्ता संरक्षण संबंधी कानून लाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया है, जो अन्य राज्यों में पहले से मौजूद सुरक्षा प्रावधानों की तरह हो। उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता लगातार अपने व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए जोखिम का सामना कर रहे हैं, और इस दिशा में कानूनी ढांचा होने से उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं।

 

 

 

संजय शर्मा, जो कानूनी पारदर्शिता और मानवाधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, ने एक बार फिर से न्याय के प्रति अपने अटूट समर्पण को प्रदर्शित किया है। उनकी आरटीआई पहल के माध्यम से, वे लगातार जनता को महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराकर सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरित कर रहे हैं। राज्य सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित कराने के लिए उनके निःस्वार्थ प्रयासों ने उन्हें कानूनी सक्रियता के क्षेत्र में अग्रणी स्थान दिलाया है।

 

उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता समुदाय को अब अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम के पारित होने की प्रतीक्षा है, और संजय शर्मा की इस दिशा में की गई कार्रवाई यह दर्शाती है कि नागरिकों की भागीदारी और सतर्कता से ही कानूनी पेशेवरों के अधिकारों और सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती। उनका निरंतर प्रयास यह संदेश देता है कि वास्तविक बदलाव सक्रिय भागीदारी और लगातार प्रयासों से ही आता है।

 

संजय शर्मा का न्याय के प्रति यह समर्पण, कानूनी समुदाय और समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनका निःस्वार्थ संघर्ष पारदर्शी और न्यायसंगत प्रणाली की स्थापना के लिए साहस और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

 

अधिक अपडेट के लिए संजय शर्मा से  ईमेल - sanjaysharmalko@icloud.com और फोन नंबर – 8004560000, 9454461111, 9415007567 पर संपर्क किया जा सकता है l