लखनऊ/शनिवार, 05-04-2025 .......................
गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में हो रही देरी पर सवाल उठाते हुए लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी पारदर्शिता, जवाबदेही, मानवाधिकार और कानूनी अधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर यह आरोप लगाया गया है कि इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच जारी है, लेकिन अब तक किसी भी व्यक्ति के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं की गई है.
गोमती रिवरफ्रंट परियोजना, जो लखनऊ में गोमती नदी के किनारे विकास कार्य के लिए ₹1,500 करोड़ की लागत से शुरू की गई थी, में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार का आरोप है. बावजूद इसके, जिन अधिकारियों का नाम इसमें लिया गया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया अब तक अधूरी रही है. इन अधिकारियों में प्रमुख रूप से आलोक रंजन (पूर्व मुख्य सचिव), दीपक सिंघल (पूर्व सिंचाई सचिव), और शिवपाल सिंह यादव ( पूर्व सिंचाई मंत्री ) का नाम शामिल है.
संजय शर्मा का आरोप है कि इस घोटाले के तहत लगभग ₹1,435 करोड़ खर्च किए गए, लेकिन परियोजना का केवल 60% ही काम पूरा हुआ. उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि इस मामले में शीघ्र और निर्णायक कार्रवाई की जाए, ताकि न केवल दोषियों को सजा मिले बल्कि लोगों का केंद्र और राज्य सरकार में विश्वास भी बरकरार रहे.
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि ED और CBI दोनों ही एजेंसियां अभी भी मामले की जांच कर रही हैं, लेकिन जांच की कोई निश्चित समयसीमा या निष्कर्ष कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक सामने नहीं आया है. संजय शर्मा ने यह भी सवाल उठाया है कि दोनों, केंद्र और राज्य सरकारों की भ्रष्टाचार के प्रति "जीरो टॉलरेंस" नीति की सच्चाई क्या है, यदि ऐसे गंभीर मामलों में भी कार्रवाई में देश के एक प्रूडेंट नागरिक की समझ से परे देरी की जा रही है.
उन्होंने आगे कहा कि न्याय में देरी, न्याय से इनकार के समान है.उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि या तो इस मामले में शामिल व्यक्तियों को निर्दोष घोषित किया जाए या फिर उन्हें सजा दिलवाने के लिए कोर्ट में पेश किया जाए. संजय शर्मा का कहना है कि यह मुद्दा केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे देश की सार्वजनिक धन की रक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से जुड़ा हुआ है.
संजय शर्मा ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में विभागीय कार्रवाई और जांच का निष्कर्ष जनता के सामने लाया जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने वालों को कठोर सजा मिले. उनका यह भी कहना था कि, "अगर यह मामला जल्दी न सुलझाया गया, तो यह लोकतंत्र, न्यायपालिका और कार्यपालिका की निष्पक्षता पर अति गंभीर सवाल उठाएगा."
अब यह देखना बाकी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और क्या केंद्र और राज्य सरकारें अपनी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को सही मायने में लागू करती हैं.
संजय शर्मा का संपर्क विवरण Mobiles 8004560000, 9454461111, 7991479999 Email sanjaysharmalko@icloud.com है.
संजय शर्मा: एक सत्य के लिए संघर्ष करने वाले नायक
संजय शर्मा, जो लखनऊ के एक प्रसिद्ध मानवाधिकार और कानूनी अधिकार कार्यकर्ता हैं, भारतीय समाज में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने सदैव पारदर्शिता, न्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है। उनकी स्पष्टता और निष्पक्षता ने उन्हें केवल एक संघर्षशील कार्यकर्ता के रूप में नहीं, बल्कि एक आदर्श नेतृत्वकर्ता के रूप में भी स्थापित किया है।
संजय शर्मा ने हमेशा सरकारों और संस्थाओं से पारदर्शिता की उम्मीद जताई है और उनका जीवन इस सिद्धांत पर आधारित है कि समाज में किसी भी तरह की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना हमारी जिम्मेदारी है। चाहे वह गोमती रिवरफ्रंट घोटाले का मामला हो या अन्य किसी अन्याय के खिलाफ उनका संघर्ष, उन्होंने हमेशा उन शक्तियों से मुकाबला किया है जो समाज की बेहतरी की दिशा में रुकावट डालती हैं।
संजय शर्मा का यह विश्वास है कि 'न्याय में देरी, न्याय से इनकार के समान है', और इसी विश्वास के साथ उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। उनका कार्य न केवल कानून के दायरे में, बल्कि समाज में उन लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर उभरा है, जो अपनी आवाज उठाने से डरते हैं। उनकी निडरता और साहस ने यह सिद्ध कर दिया है कि सत्य की राह पर चलने वाले लोग कभी अकेले नहीं होते, उनका समर्थन समाज और कानून दोनों से होता है।
उनके प्रयासों ने हमें यह समझने में मदद की है कि एक व्यक्ति भी बड़े बदलाव का कारण बन सकता है, बशर्ते वह सच्चाई की ओर नतमस्तक होकर संघर्ष करे। संजय शर्मा का जीवन इस बात का प्रतीक है कि किसी भी नीति या परियोजना में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार को पहचानने और उन्हें उजागर करने का साहस हर एक नागरिक में होना चाहिए।
संजय शर्मा का कार्य निश्चित रूप से समाज के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि कोई कार्यकर्ता अपने उद्देश्य में दृढ़ नायक हो, तो वह न केवल भ्रष्टाचार को खत्म कर सकता है, बल्कि न्याय की स्थापना भी कर सकता है। उनका यह संघर्ष न केवल देश की भ्रष्टाचार विरोधी नीति को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि न्याय की दिशा में उठाए गए हर कदम का महत्व होता है।
संजय शर्मा के कार्यों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वह भारतीय समाज के एक महान नायक हैं, जो न केवल न्याय की प्रतीक हैं, बल्कि एक सशक्त आवाज हैं, जो समाज के हर वर्ग को समान अवसर और निष्पक्षता का अधिकार दिलाने के लिए निरंतर संघर्षरत हैं।